महामारी से निपटने के लिए घोषित आर्थिक मदद में कई देशों ने जलवायु परिवर्तन को बिलकुल नजरअंदाज कर दिया। हालांकि, कई तथ्य बताते हैं कि वायरस का जलवायु से संबंध काफी नजदीकी है।
जानकारों के अनुसार, धरती पर तापमान वृद्धि, मौसम परिवर्तन और गहराता वायु प्रदूषण वायरसजनित बीमारियों के लिए हमें और खतरे में डाल रहा है। उनका कहना है, तापमान बढ़ने और मौसम का पैटर्न बदलने से वायरस के वाहक और फैलाव में भी परिवर्तन आता है।
लिहाजा, अगर जलवायु परिवर्तन का संकट जस का तस बना रहा तो कोरोना जैसी महामारियों का दौर और बढ़ेगा। ऐसे में ग्रीन इकोनॉमी या हरित अर्थव्यवस्था अपनाकर ही हम अपना भविष्य सुरक्षित कर सकते हैं।
जलवायु संकट बढ़ाने वाले कॉरपोरेट को ही मदद...
कोराेना से आर्थिक संकट ने स्पष्ट कर दिया है कि समस्याएं आपस में जुड़ी हुई हैं। इस वक्त अर्थव्यवस्था बहाली के साथ जलवायु संकट से निपटने के लिए भी आर्थिक घोषणाएं जरूरी थीं। लेकिन अमेरिका द्वारा दो खरब डॉलर की आर्थिक सहायता में बिना किसी निरीक्षण के 500 अरब डॉलर कॉरपोरेट को दे दिए गए। वही कॉरपोरेट, जिनमें अधिकांश प्रदूषण के लिए जिम्मेदार हैं।